आस्था है तभी तो
दुष्टि में अपनत्व का
दिखाना स्वाभाविक लगता है
नहीं तो क्यों अकारण
छुप छुप कर तुम देखोगी मुझको
महत्वपूर्ण है लोक लाज
मानता हूँ
मगर प्रेम छुपता नहीं यह भी तो
एक सत्य है
अथक प्रयास तुम्हारा शायद
इस नवजात प्रेम को छुपाने की
परन्तु मूक हवा
जो आती है मुझ तक
तुम्हारे स्पर्श को लेते हुए..
कह देती है तुम्हारे भावनाओं को
अविलम्ब एक छन में .....
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Its Very Good Thought.. Wastav me "Athak Prayash" Sarahniya hai... Keep-it-Up...
ReplyDeleteacchhi kavitaa hai....aur acchhi ban sakti hai....jaraa thaharkar likhen to....!!
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