टुकड़े-टुकड़े दिन बीता,
धज्जी-धज्जी रात मिली
जितना-जितना आँचल था,
उतनी ही सौगात मिली
रिमझिम-रिमझिम बूँदों में,
ज़हर भी है और अमृत भी
आँखें हँस दीं दिल रोया,
यह अच्छी बरसात मिली
जब चाहा दिल को समझें,
हँसने की आवाज सुनी
जैसे कोई कहता हो,
ले फिर तुझको मात मिली
मातें कैसी घातें क्या,
चलते रहना आठ पहर
दिल-सा साथी जब पाया,
बेचैनी भी साथ मिली
होंठों तक आते आते,
जाने कितने रूप भरे
जलती-बुझती आँखों में,
सादा सी जो बात मिली
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एक सुन्दर भाव "आँखें हंस दी दिल रोया ,यह अच्छी बरसात मिली "
ReplyDeleteबधाई
आशा
vaah.....bahut acchha prayaas hai.....keep it up....!!
ReplyDeleteBhaut avvha likhti hain aap...................
ReplyDeleteaankhe bhar aaye kasam se